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 A18. हरबंस सिंह जलाल दी शंखेप जीवनी
 
डाक्टर करनैल सिंह दी कलम तों)
स हरबंस सिंह जलाल दा जन्म नाभा र्यासत दे पिंड जलाल विच होया।पिता दा नाम स मेहर सिंह अते दादा दा नाम स मल सिंह माता दा नाम चन्द कौर सी। जन्म नानके पिंड अंगरेजी राज दे पिंड ढिलवांवाला जिला फिरोजपुर विच होया।
राजसी हालात
पिंड ढिलवांवाला तीन राजां दे जोड़५ मेल ऊपर वस्या होया सी। र्याशत फरीदकोट र्यासत नाभा अते अंगरेजी राज। इस लई इह पिंड तिन्न राजां दे जुल्म दा शिकार रेहा।। इहनां दिनां विच सतंतरता लहर आपने पूरे उभार विच सी अते हुक्मरान भी आपनी आखरी लड़ायी लड़ रेहा सी। इस लई सतंतरता संगरामींआं ऊपर घोर जुल्म ढायआ जा रेहा सी।
कोयी भी राज जो आपने देस सूबे विचों इनकलाबियां नूं कढना चहुन्दा सी उह उहनां दी कूट मार करके इस त्रैहद्दे ऊपर सूट जांदा सी। इथे इक छपड़ हुन्दा सी। अक्सर इह इनकलाबी स्याल दियां ठंडियां रातां बिनां बस्तर अते बिनां खाने तों छपड़ ऊपर ही कटदे सन्। जलाल दे नाना जी स किशन सिंह पिंड दे नम्बरदार सन् अते सहबे जइदाद सन्। उह अक्सर आपने अंगरेज हुक्मरान तों चोरी छुपे इहनां संगरामियां दी लोड़ीदी मदत करदे सन्। इहनां नूं खाने कपड़े तों बिनां किसे सरक्खत जग्हा पहुचाउना भी उह आपनी जुमेंवारी समझदे सन्। ज़्यादातर उहनां नूं स नाजर सिंह भगता जां स जगराज सिंह केसरवाला जां सुखांनन्द कोल कुझ दिनां लई पनाह दिति जांदी सी। तन्दरुसत होन् उपरंत उह कोयी पकी पनाह भाल लैंदे सन्।
स किशन सिंह दा इकलौता पुत्र गुजर जान ते उह बहुत निर्बल महसूस करन लगे। काफी समें लई इह सेवा जलाल सहब दे पिता स मेहर सिंह निभाउंदे रहे। भारत दे साबका राष्ट्रपति ग्यानी जेल सिंह दो वार फरीदकोट र्यासत वलों कढे जान ते ठंढियां रातां विच इथे उतारे गए सन्। इहनां दी महमान नवाजी दा मान भी स मेहर सिंह नूं हांसल होया। भांवें इह सभ कुझ बहुत गुप्त तरीक्या नाल किता जा रेहा सी पर इह अंगरेज दी खुफिया पुलिस तों छुप नहीं सक्या।।
जलाल पिंड विच उस समें इक पुलिस चौंकी बैठी होयी सी जिसदे इन्चार्ज इक खान सहब सन् जो मेहर सिंह दियां गति विधियां ऊपर खास निगाह रखदे सन्। इहनां दिनां विच ही स मेहर सिंह दे गवांढी स जंगीर सिंह दे इक दोस्त स अजमेर सिंह पिंड कोइर् सिंह वाला तों जंगीर सिंह नूं मिलन लई आए सन्। अजमेर सिंह कोल 12 बोर गन दा लईसंस सी। शराब पिन अते खाना खान तों बाद उहनां बाहरले घर सोन लई जाना सी। सुनी गली लंघद्यां स जंगीर सिंह गन्न चलाके देखना चहुन्दा सी पर स अजमेर सिंह उसनूं मनाह कर रहे सन्। रोला सुणके इक मेहरबान बजुरग आपने कोठे उपरों उहनां नूं नसीहत देन आया
अचानक गोली चल गई। नेक बजुरग गोली दा सिकार हो गया। जंगीर सिंह दे घर वाली ने मेहर सिंह नूं इसदा पता करन लई केहा।। जंगीर सिंह दोड़ गया जो बाद विच कदे पेश ना होया। खान सहब ने पहले मेहर सिंह ऊपर जंगीर शिंघ नूं फड़ाउन दी जुमेंवारी पाई। पर जंगीर सिंह दे पेश ना होन् ऊपर खानापूरी लई केस मेहर सिंह ऊपर पा दिता गया। मंडी रामपुरा दे महाजन भाईचारे ने महांराज नाभा नूं मेहर सिंह दी बेगुनाहीं वारे दसद्यां बरी करन दी बेनती कीती। महांराजा नाभा ने इसनूं परवान करद्यां मेहर शिंघ दी रेहायी दा हुक्म कर दिता पर अंगरेज सरकार ने मुड़ विचार करद्यां खुफिया पुलिस दियां रिपोटां नूं अधार बणाके मेहर सिंह नूं मौत दी सजा दिति। उस समे स जलाल इक साल दे सन्।
मुढला जीवन
स जलाल ने मुढली पड़ायी आपने पिंड जलाल दे प्राइमरी स्कूल विच प्राप्त कीती जो इक छपड़ दे किनारे इक कीकर हेठ लगदा सी। जलाल दे दादा जी ने स्कूल नूं बिलडिंग प्रदान कीती। जलाल दा पड़ायी विच उका ही मन नहीं सी। उह इमतेहान देन लई फूल नहीं जाना चहुन्दे सन् पर मास्टर देवी दयाल गिणती पूरी करन लई उहनां नूं फूल ले गए सन्। इथे इक अजीब कौतक होया।जद उह होर बच्यां नाल इमतेहान दे कमरे विच दाखल हो रहे सन् तां इथों दी इक भगतनी बीबी पारो जो स्कूली बच्यां वलों सताए जान कारन अक्सर उहनां वल रोड़े चलाउंदी रहन्दी सी उहनां कोल आई। बीबी ने जलाल दे सिर ऊपर हथ रखके असीरवाद दिता अते आपने किसे भगत वलों उसदी जेब विच पायआ र्युड़ियां दा इक पैक्ट जलाल नूं दिता।। इह छोटी जैही घटना जलाल लई अगों बड़ी= वरदान साबित होई।
समाजवाद वल झुकाय
जलाल ने अगली पड़ायी गौरमिंट हायी स्कूल पतौ हीरा सिंह तों हांसल कीती। इथे ही उहनां कामरेड भूर बजिन्दर शिंघ उर्फ भूरा दी प्रेरना नाल कम्यूनिज्म सोशलिजम दियां अंगरेजी पंजाबी हिन्दी विच छपियां किताबां पंजाब बुक डिपो चंडीगड़ तों खरीद के पड़ियां।।
उचेरी पड़ायी लई जलाल ने डी एम कालिज मोगा विच दाखला लया। अंगरेजी दे प्रोफशर के एल कपूर उहनां लई प्रेरना स्रोत सन्। इथे जलाल नूं कार्ल मार्क्स अते सोसलिजम थीउलोजी दा पूरा अधिऐन करन दा मौका मिलया। पर लेनिन अते स्टालिन दे अधिऐन ने जलाल दा नजरिया बदल दिता।। उहनां नूं कम्युंनिशट डिकटेटरशिप अते बादशाही डिकटेटरशिप विच कोयी अंतर नहीं जाप्या।। कुझ कु घटनावां ने जलाल नूं धार्मिक सहत दा अधिऐन करन दी प्रेरना कीती।
धार्मिक चेतना
जलाल ने सीख धर्म दा दूजे धरमां नाल कमपैरेटिव अधिऐन करन लई सीख धर्म हिन्दू धर्म मुस्लिम धर्म ईसायी धर्म यहूदी धर्म लाउतशे कनफ्यूशिस तों इलावा नेचरिजम साइकालोजी फिलौसफी नाल सबंधित तकरबन दस हजार कताब आपनी निजी लायब्रेरी विच शामिल कर लईआं सन्। उहनां नूं कम्यूनिज्म दे विरुध डिशकोरस देन लई सीख स्टूडैंट फेडरेशन वलों कई वार बुलायआ गया सी।
जलाल दी सहतक अते धार्मिक चेतना कारन ही उह बाबा ईशर सिंह संत नरेन सिंह नानकशर साह मशताना जी डेरा सिरसा सरी उोशो आफ पूने महांरिशी महेशयोगी आफ ऋषिकेश हरभजन सिंह योगी आदि नाल नेड़ता पैदा होई। उहनां लौशएंजल विच अंगरेजी दियां दो पुसतकां भी लिखियां।। नेचर दी उरिजन आफ रिलीजन अते "नैचरल वे टू इनलाईटनमैंट"
राजनीतक जीवन
जलाल सहब ग्यानी जेल सिंह जी दे काफी नजदीक रहे हन।। उस समें ग्यानी जी पंजाब कांगरस दे प्रधान सन्। उहनां कोल आपना आवाजायी दा कोयी साधन नहीं सी। जलाल ने आपनी कार ग्यानी जी दे अरपन कीती अते आप ड्राइवर वजों नाल भी रहे जदों तक उह पंजाब दे मुख मंतरी बण गए। उह बचपन विच ही कांगरस दे किशान सेल दे पट्याला डवीजन दे कनवीनर बणाए गए।
जलाल ने 1972 विच कम्युनिष्ट अते कांगरस दे सांझे उमीदवार मास्टर बाबू सिंह दे खिलाफ अजाद उमीदवार वजों चोन लड़ी।। पंजाह हजार वोट विचों तीन कोनी लड़ायी विच साढे छे हजार दी लीड मिली। खर्चा आपने कोलों सिर्फ सत् हजार होया। पन्दरां कु हजार दी मदत दोसतां रिशतेदारां कर दिति। संत फतेह शिंघ अते स धन्ना सिंह गुलशन ने भी आखरी समें हमायत कर दिति सी इस लई उसदे मन विच संत जी लई सतिकार सी जो श बादल नूं चंगा ना लगा।
1977 दी चोन समें भांवें टिकट तां सिटइंग विधायक होन् कर्क जलाल नूं मिल गई सी। पर बादल ग्रुप ने कम्यूशिट उमीदवार दी हमायत कीती। इस दे वावजूद भी दो हजार वोट दी लीड मिल गई। अचानक चार हजार जाअ्हली पोस्टल वोट कम्युनिष्ट उमीदवार दे हक विच आउन दा बहाना बणाके जलाल नूं हर्या करार दे दिता गया। इलैक्शन पटीशन विच भांवें इनशाफ मिल गया सी पर इसदा कोयी फायदा ना होया क्युंके बादल सरकार पौने दो कु साल बाद ही टूट गई सी।
केंदरी सरकार विच
जलाल सहब विधान सभा विच फैक्ट ऐंड फिगरज अधारित विचार देन करके वधिया बुलारे मन्ने जांदे सन्। उहनां दी खोज डिटैकटिव जर्नलिज्म ऊपर अधारित सी। भाखड़ा विच पैदा किता जा रेहा हैवी वाटर गुप्त ढंग नाल रशिया नूं देन वरगे अनेकां मसले उहनां विधान सभा विच उजागर कीते।। 1977 विच मुरारजी डिसायी प्रधान मंतरी बणे।। स बरनाला खेती मंतरी सन्। बरनाला सहब दी सिफारस ऊपर जलाल सहब नूं एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन दा मैंबर नियुक्त किता गया। उहनां दी खोज अधारित सबमिशन तों प्रभावत होके डिसायी सरकार ने उहनां नूं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंसटीच्यूट पूसा दा डायरेक्टर नियुक्त कर दिता।। इह संसथा उस समें भारत दियां 64 खेती यूनीवरशटीज दा कंटरोल करदी सी।
समाजिक सेवा
इस समें स प्रकाश सिंह बादल अकाली दल दे प्रधान बण चुके सन्। भांवे जलाल दे सहुरा परवार दी डबवाली ट्रांसपोरट विच बादल परवार नाल हिसेदारी तों इलावा दो तीन रिसतेदारियां भी सन् पर उहनां बादल सहब दे पहले रवई्ईए नूं मुख रखद्यां मुड़ नाही अकाली दल विच सामिल होन् वारे सोच्या अते नांही टिकट मंगी।। पर किसान हितां दी खातिर सदा तत्पर रहे। जद किसान अते विकास नाल सबंधित भठल सरकार वलों जारी कीते गए सुधारां ऊपर इलैक्शन कमीशन ने समें तों पहलां कोड आफ कंडक्कट लागू करके रोक लगायी तां जलाल सहब ने हायी कोर्ट अते सपरीम कोर्ट विच इस बेइनसाफी विरुध केस लड़्या।। अमरीका दी विदेस विदेसी सनअत नाल सबंधित संसथा उपिक नूं भारत विच सनअत लगाउन लई सर्वे करवाए अते कई प्रोजेक्ट मन्जूर भी करवाए। उहनां दे समाज सेवा नाल सबंधित सारे अमलां दा वेरवा देना इथे वाजिब नहीं है।
ईमानदार राजनीति
स जलाल तकरीबन 10 कु साल एक्टिव राजनीति विच रहे। किसे भी समें किसे भी कंम लई किसे कंम वाले तों इक पैसे दा भी मुफाद प्राप्त नहीं किता। उहनां लोकां दे राजीनामें आप मिनतां करके करवाए। अज वांग निजी मुनाफे लई भरा नूं भरा नाल नहीं लड़ायआ।।
लुटेरा शाही दा शिकार
जलाल दी दूजी इलैक्शन समें बादल ग्रुप वलों विरोध विच मलूका सहब ने भी अहम रोल अदा किता जिस कारन उह बादल सहब दी निग्हा चड़ गए। इस समें नूं लुटेरा शाही ने जलाल दी कई सौ क्रोड़ रुपए दी जइदाद लूटन लई वरत्या।। इसदा पूरा वेरवा इथे देना मुनासिब नही है।