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ये फैसला बन सकता है अकालियों की हार का कारण !
Punjab में अकाली सरकार किसानों से सूद समेत मुआवजा लेगी वापस, किसान विरोधी सरकार बनने पर बदल जाएंगे Punjab की राजनीति के सारे समीकरण.
New Delhi, Mar 13: जहां एक तरफ केंद्र की बीजेपी सरकार किसानों के हित की बाते कर रही है, बजट में किसानों को ज्यादा तरजीह देने की कोशिश की बाते की गई, लेकिन Punjab में उन्ही के समर्थन से बनी सरकार केंद्र की सरकार से उलट कदम उठाने की कोशिश करती दिखाई दे रही है.
Punjab सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया जो न सिर्फ उनका नुकसान करेगा बल्कि उसका समर्थन देने वाली बीजेपी को भी मुसीबत में डाल दिया है और मजे की बात ये है कि आने वाले वक्त में Punjab विधानसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा बनने वाला है. क्योकि जिन किसानों को मुआवजा की रकम बांटी गई है वही रकम वापिस लेनी है. जाहिर सी बात है कि ऐसा होने पर भारी विरोध भी झेलना पड़ेगा.
क्यो लेना पड़ा ऐसा फैसला ?
Punjab की सरकार ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के लिए अधिग्रहीत की गई 5,376 एकड़ भूमि को अब गैर-अधिसूचित करने का फैसला किया है. साथ ही इसका एलान भी कर दिया है. Punjab सरकार के आदेश के अनुसार जमीन का मुआवजा ले चुके लोगों को अब ब्याज समेत वो रकम लौटानी होगी. Punjab सरकार की ओर से जारी किए गए आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि वों विधानसभा में ब्याज समेत जमीन के मुआवजे की राशि को वापस लाने के लिए एक विधेयक लेकर आएगी.
किस्तों में पैसा वापस लेगी सरकार !
आधिकारिक नोट के अनुसार, ‘कैबिनेट में एक ड्राफ्ट बिल को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत जमीन के मालिको और उनके उत्तराधिकारियों से ब्याज समेत मुआवजे की राशि वापस लेने का प्रावधान है. इसके अलावा दूसरे सभी फायदे जो जमीन के मुआवजे के तहत दिए गए थे, वे भी जमीन मालिकों को Punjab सरकार को वापस करने पड़ेंगे. राहत के तौर पर सरकार ये रकम लोगों से 60 किस्तों में वसूलेगी. लेकिन एक बात ये है कि जो लोग ये किस्ते चुकाने में असफल होंगे, सरकार उनसे एरियर वसूलेगी.
Punjab सरकार के लिए बनेगी मुसीबत
जो अधिसूचना जारी हुई है उसके मुताबिक किसानों को अपनी जमीन के मुआवजे की राशि लौटाने का प्रोसेस शुरु करना होगा. अब परेशानी इस बात की है कि कुछ लोगों को सरकार की तरफ से मुआवजा 3 दशक पहले मिला था. अब उन लोगों का कहना है कि उन्होने रकम खर्च कर दी और अब लौटाने की स्थिति में नहीं है.
इसके अलावा एक समस्या ये है कि सरकार की तरफ से रीपेमेंट के बारे में कुछ भी साफ नहीं किया गया है कि सरकार ने जो नोट जारी किया है उसमें काफी कुछ साफ नहीं है. अब सरकार इस बिल को चालू विधानसभा सत्र में पेश करने की तैयारी में है. बिल के पास होने के बाद तो ये तय है कि सरकार को बड़े किसान विरोधी आंदोलन को झेलना होगा.
विपक्ष का क्या कहना है
विपक्ष तो इस मामले को किसी भी हाल में जायज होना देना नहीं चाहती है, लिहाजा अभी से इस मामलों को लेकर मोर्चा खोला जा रहा है, कांग्रेस के नेता इस फैसले को क्रूर और मूर्खतापूर्ण करार दे रहे है. कांग्रेस का कहना है कि अकाली सरकार दूसरों पर हावी होने के लिए किसानों पर बोझ डाल रही है.
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बीजेपी का धर्मसंकट बढ़ा
Punjab चुनाव को लेकर बीजेपी पहले से ही अकालियों के साथ खड़े होने में परेशान हो रही थी अब अगर ऐसा होता है तो Punjab सरकार की छवि तो किसान विरोधी बनना तय है और बीजेपी किसी भी हाल में कम से कम किसानों का विरोध झेलने की स्थिति में तो नहीं है. अब अगर इस बिल को पेश होने के बाद किसानों से मुआवजा सूद समेत वापस लिया जाए. तो बीजेपी को अकालियों के साथ रहना मुश्किल होगा. और सियासी नीति भी यही कहती है कि किसान विरोधी छवि बनने पर बीजेपी को अकाल से किनारा कर लेना चाहिए.