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Delhi की सड़कों के लिए AAP सरकार का नया मॉडल 005

प्राइवेट कंपनियां बनाएंगी Delhi की सड़कें ?

Delhi की सड़क पर AAP सरकार का नया प्रयोग

New Delhi, Nov 20 : Delhi देश की राजधानी है। Delhi की तरफ हर कोई एक अलग नजरों से देखते हैं। देश ही नहीं दुनियाभर में Delhi अपनी वजह से चर्चा में रहती है। केवल एक शहर नहीं है Delhi। देश की मुकद्दर इसी Delhi से तय होती है। अब आप सोच सकते हैं अगर Delhi इतनी खास है तो फिर इस Delhi में अगर सड़कें सही नहीं हों तो देश की क्या तस्वीर बनेगी विश्व पटल पर। ज्यादा मुश्किल नहीं है अंदाजा लगाना। और अगर देश की राजधानी की तस्वीर एक टूटी फूटी सड़कों वाली होगी तो बाकी हिस्सों के बारे में तो सोचना ही बेकार है। Delhi में 60 फुट की चौड़ाई वाली जो सड़कें हैं उसका रख रखाव पीडब्लूडी करती है। 2012 से पहले तक ये काम एमसीडी करती थी। लेकिन उसके बाद ये काम पीडब्लूडी के अधीन आ गया। उसी 60 फुट चौड़ी सड़कों के लिए केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानि AAP की सरकार एक नये मॉडल पर विचार कर रही है। ये मॉडल है पीपीपी मॉडल।

पीपीपी मॉडल क्या है ?

इस मॉडल के तहत AAP सरकार पीडब्लूडी के अधीन आने वाली सड़कों के निर्माण, उसके देखरेख के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का सहारा लेने की नीती पर विचार कर रही है। यानि इन सड़कों के निर्माण में प्राइवेट कंपनियों को शामिल किया जाएगा। देखरेख में होनेवाले खर्च में सरकार और प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी होगी। सड़क के मरम्मत या निर्माण में आनेवावे खर्च में दोनों का हिस्सा बंटा होगा। और इस भागीदारी के जरिये Delhi की सड़कों को सपाट और चिकना बनाया जाएगा। लेकिन एक बात ध्यान में रखिये की ये अभी विचाराधीन है। इस मामले में एक पूरी प्रक्रिया का किया जाना अभी बाकी है।

प्राइवेट कंपनियां क्यों बनाएंगी सड़कें ?

देश के आधारभूत संरचना के विकास में कंपनियों ने पैसा लगाने के लिए अपनी रूची दिखाई है। जिसके तहत AAP सरकार भी इस दिशा में सोच रही है। पीडब्लूडी के एक अधिकारी के मुताबिक प्राइवेट कंपनियां इसमें ज्यादा रुची लें इसके लिए सड़क बनाने के बदले उसपर विज्ञापन लगाने का अधिकार उन कंपनियों को दिया जा सकता है। जो कमाई का एक बड़ा जरिया बन सकता है। क्योंकि ये सत्य है कि प्राइवेट कंपनियां पैसा वहीं लगाएंगी जहां उन्हें इसमें मुनाफा दिखाई देगा। केवल इसलिए की Delhi की सड़कों को आदर्श स्थिति में लाना है इतने भर के लिए वो अपनी मोटी रकम का निवेश सड़कों पर नहीं करनेवाले। इसलिए उन्हें ये प्रलोभन दिया जा सकता है कि सड़क बनाओ विज्ञापन लगाओ।