010
आम आदमी पार्टी में एक बार फिर बगावत
Baljit Singh with Nirmal Sondhi and 2 others.
16 hrs ·
ਭਗਤਾਂ ਨੇ ਨੀ ਮੰਨਣਾ ਵੈਸੇ..
नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी में एक बार फिर बगावत के सुर बुलंद हुए हैं। आंतरिक कलह के चलते प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव के पार्टी छोड़ने के एक साल बाद अब एक और संस्थापक सदस्य इलियास आजमी ने केजरीवाल के खिलाफ सीधे मोर्चा खोलते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के पीछे उन्होंने केजरीवाल की जातिवादी और तानाशाही नीतियों को कारण बताया है। इस्तीफे से फिर आम आदमी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र पर बहस छिड़ गई है। आंतरिक कलह संगठन फोरम से बाहर आने के बाद विरोधियों को जहां चुटकी लेने का मौका मिल गया है वहीं पार्टी एक बार फिर टेंशन में आ गई है। इलियास ने सोमवार को इस्तीफा देने के बाद कहा कि पार्टी में अल्पसंख्यकों और पिछड़ों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था। केजरीवाल ऊंची जातियों खासकर अपनी जाति के लोगों को ही पार्टी में तवज्जो दे रहे। संस्थापक सदस्य होने के नाते उन्होंने कई बार संगठन की बैठकों में यह मुद्दा उठाया। मगर केजरीवाल की तानाशाही के आगे उनकी एक न सुनी गई।
आम आदमी नहीं वन मैन पार्टी हो गई आप
इलियास आजमी ने केजरीवाल पर हमला बोलते हुए कहा कि उनकी तानाशाही से पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है। भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार और अजीत झा जिस तरह से पार्टी से अलग हुए उससे अरविंद केजरीवाल की तानाशाही साफ झलकती है। केजरीवाल चाहते हैं कि वे जो कहें वही सब सिर नीचा कर मान लें। अब यह पार्टी आम आदमी की नहीं बल्कि सिर्फ एक आदमी की हो गई है। वह आदमी हैं मिस्टर केजरीवाल। आजमी ने कहा कि पार्टी की समितियों में केजरीवाल ने या तो ऊंची जातियों के लोगों को रखा या फिर अपनी जाति-बिरादरी केे लोगों को। जाति आधारित भेदभाव बहुत खतरनाक चीज मुझे बर्दाश्त नहीं हुई। वे आम आदमी पार्टी से उसके शुरुआती भ्रष्टाचार विरोधी स्टैंड के कारण जुड़े थे। मगर पार्टी की समितियों, दिल्ली चुनाव में जातीय भेदभाव देख अब हमने पार्टी से अलग होने का फैसला किया। जबकि हम तन-मन और धन से पार्टी के प्रति हमेशा समर्पित रहे।
क्या यह है इस्तीफे की वजह
सोमवार को इलियास आजमी के इस्तीफा देने पर पार्टी ने कोई अधिकृत बयान नहीं जारी किया है। हालांकि पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि एपी आजमी के इस्तीफे पर टिप्पणी करने पार्टी के विधायक अमनतुल्लाह खान और मंत्री इमरान हुसैन के उभार को पचा नहीं पा रहे थे। पार्टी में दोनों नेताओं के दबदबे के कारण इलियास खुद को उपेक्षित महसूस करने पर इस्तीफा देने का फैसला किए।