130 प्राइवेट
कंपनियां
बनाएंगी Delhi
की
सड़कें ?
Delhi
की
सड़कों
के
लिए AAP
सरकार
का
नया
मॉडल
Delhi
की
सड़क
पर AAP
सरकार
का
नया
प्रयोग
New Delhi, Nov 20 : Delhi
देश
की
राजधानी
है। Delhi
की
तरफ
हर
कोई
एक
अलग
नजरों
से
देखते
हैं।
देश
ही
नहीं
दुनियाभर
में Delhi
अपनी
वजह
से
चर्चा
में
रहती
है।
केवल
एक
शहर
नहीं
है Delhi।
देश
की
मुकद्दर
इसी Delhi
से
तय
होती
है।
अब
आप
सोच
सकते
हैं
अगर Delhi
इतनी
खास
है
तो
फिर
इस Delhi
में
अगर
सड़कें
सही
नहीं
हों
तो
देश
की
क्या
तस्वीर
बनेगी
विश्व
पटल
पर।
ज्यादा
मुश्किल
नहीं
है
अंदाजा
लगाना।
और
अगर
देश
की
राजधानी
की
तस्वीर
एक
टूटी
फूटी
सड़कों
वाली
होगी
तो
बाकी
हिस्सों
के
बारे
में
तो
सोचना
ही
बेकार
है। Delhi
में 60
फुट
की
चौड़ाई
वाली
जो
सड़कें
हैं
उसका
रख
रखाव
पीडब्लूडी
करती
है। 2012
से
पहले
तक
ये
काम
एमसीडी
करती
थी।
लेकिन
उसके
बाद
ये
काम
पीडब्लूडी
के
अधीन
आ
गया।
उसी 60
फुट
चौड़ी
सड़कों
के
लिए
केजरीवाल
की
आम
आदमी
पार्टी
यानि AAP
की
सरकार
एक
नये
मॉडल
पर
विचार
कर
रही
है।
ये
मॉडल
है
पीपीपी
मॉडल।
पीपीपी
मॉडल
क्या
है ?
इस
मॉडल
के
तहत AAP
सरकार
पीडब्लूडी
के
अधीन
आने
वाली
सड़कों
के
निर्माण,
उसके
देखरेख
के
लिए
पब्लिक
प्राइवेट
पार्टनरशिप
का
सहारा
लेने
की
नीती
पर
विचार
कर
रही
है।
यानि
इन
सड़कों
के
निर्माण
में
प्राइवेट
कंपनियों
को
शामिल
किया
जाएगा।
देखरेख
में
होनेवाले
खर्च
में
सरकार
और
प्राइवेट
कंपनियों
की
भागीदारी
होगी।
सड़क
के
मरम्मत
या
निर्माण
में
आनेवावे
खर्च
में
दोनों
का
हिस्सा
बंटा
होगा।
और
इस
भागीदारी
के
जरिये Delhi
की
सड़कों
को
सपाट
और
चिकना
बनाया
जाएगा।
लेकिन
एक
बात
ध्यान
में
रखिये
की
ये
अभी
विचाराधीन
है।
इस
मामले
में
एक
पूरी
प्रक्रिया
का
किया
जाना
अभी
बाकी
है।
प्राइवेट
कंपनियां
क्यों
बनाएंगी
सड़कें ?
देश
के
आधारभूत
संरचना
के
विकास
में
कंपनियों
ने
पैसा
लगाने
के
लिए
अपनी
रूची
दिखाई
है।
जिसके
तहत AAP
सरकार
भी
इस
दिशा
में
सोच
रही
है।
पीडब्लूडी
के
एक
अधिकारी
के
मुताबिक
प्राइवेट
कंपनियां
इसमें
ज्यादा
रुची
लें
इसके
लिए
सड़क
बनाने
के
बदले
उसपर
विज्ञापन
लगाने
का
अधिकार
उन
कंपनियों
को
दिया
जा
सकता
है।
जो
कमाई
का
एक
बड़ा
जरिया
बन
सकता
है।
क्योंकि
ये
सत्य
है
कि
प्राइवेट
कंपनियां
पैसा
वहीं
लगाएंगी
जहां
उन्हें
इसमें
मुनाफा
दिखाई
देगा।
केवल
इसलिए
की Delhi
की
सड़कों
को
आदर्श
स्थिति
में
लाना
है
इतने
भर
के
लिए
वो
अपनी
मोटी
रकम
का
निवेश
सड़कों
पर
नहीं
करनेवाले।
इसलिए
उन्हें
ये
प्रलोभन
दिया
जा
सकता
है
कि
सड़क
बनाओ
विज्ञापन
लगाओ।