131 Delhi
को
पानी
देने
वाले
बांधों
में
पानी
घटा
है,
लेकिन
परेशानी
वाली
कोई
बात
नहीं
है.
New Delhi, Apr 26 : भीषण
गर्मी
और
सूखे
की
मार
से
देश
के
ज्यादातर
डैम
में Water Level
गिरता
जा
रहा
है
और
पानी
का
संकट
गहराता
जा
रहा
है,
हालांकि
इससे
राजधानी Delhi
में
पानी
की
सप्लाई
पर
कोई
खास
असर
पड़ने
की
आशंका
नहीं
जताई
जा
रही
है।
ऐसा
इसलिए
हो
रहा
है
क्योंकि
दिल्ली
को
पानी
की
सप्लाई
के
लिए
कई
इंतजाम
किए
गए
हैं
और
यहां
पानी
अलग-अलग
जगहों
से
आता
है,
इसीलिए
यहां
पानी
की
किल्लत
की
नौबत
अभी
नहीं
आई
है।
Delhi
को
नवंबर
से
फरवरी
तक 68
मिलियन
क्यूबिक
मीटर
और
जुलाई
से
अक्टूबर
तक 580
मिलियन
क्यूबिक
मीटर
पानी
मिलता
है।
यानी
बरसात
में
सबसे
ज्यादा
पानी
मिलता
है,
लेकिन
इसमें
से 300
मिलियन
क्यूबिक
मीटर
पानी
यमुना
में
बह
कर
चला
भी
जाता
है।
दिल्ली
को
पानी
की
सप्लाई
के
लिए
यहां
कई
वाटर
ट्रीटमेंट
प्लांट
बने
हुए
हैं।
इनमें
गंगा
नदी
से 500
क्यूसेक
पानी
सोनिया
विहार
और
भगीरथी
प्लांट
मिलता
है।
यमुना
नदी
से 440
क्यूसेक Raw Water
चंद्रावल,
वजीराबाद
और
ओखला
प्लांट
को
दिया
जाता
है।
इसके
अलावा
भाखड़ा
नांगल
बांध
से
आया 623
क्यूसेक
पानी
हैदरपुर,
नांगलोई,
द्वारका
और
बवाना
प्लांट
को
भेजा
जाता
है।
इसके
अलावा
ट्यूबवेल
और
बारिश
के
जरिए
भी
करीब 160
क्यूसेक
पानी
दिल्ली
को
मिल
जाता
है।
दिल्ली
को
पानी
सप्लाई
करने
वाली
नदियों
और
बांधों
में
फिलहाल
पानी
के
स्तर
में
भारी
कमी
आई
है,
हथिनी
कुंड
बांध
में
पानी
का
स्तर
लगभग
आधा
रह
गया
है,
टिहरी
बांध
में
भी
पानी
में
कमी
आई
है,
लेकिन
फिर
भी
दिल्ली
वालों
के
लिए
चिंता
की
बात
नहीं
तो
इसके
लिए
जिम्मेदार
है
देश
को
प्रकृति
का
वरदान।
दरअसल
टिहरी
बांध
हिमालयी
नदियों
से
जुड़ा
हुआ
बांध
है,
यहां
पर
पानी
बर्फ
पिघलने
से
भी
आता
है,
जो
कि
अभी
नहीं
आ
रहा
है।
गर्मी
बढ़ेगी
को
पानी
की
मांग
भी
बढ़ेगी
लेकिन
आने
वाले
दिनों
में
बर्फ
भी
पिघलना
शुरू
हो
जाएगी
जिससे
बांध
में
पानी
बढ़ने
लगेगा।
पठारी
नदियों
के
मामले
में
ऐसा
नहीं
हो
पाता
है,
वो
पानी
के
लिए
बारिश
पर
ही
निर्भर
होती
हैं,
इसलिए
उनका
हाल
गर्मियों
में
बुरा
हो
जाता
है।
फिलहाल
दिल्ली
को
पानी
की
परेशानी
नहीं
होने
वाली
है।
एक
और
खास
बात
ये
भी
है
कि
दिल्ली
ने
बार-बार
होने
वाले
आंदोलनों
से
पानी
के
संकट
की
स्थिति
में
खुद
को
ढाल
लिया
है।
पिछले
दिनों
जाट
आंदोलन
के
दौरान 9
प्लांट
में
से
सिर्फ 2
में
ही
पानी
का
उत्पादन
हुआ
और
सिर्फ 250
एमजीडी
पानी
से
ही Delhi
वालों
की
प्यास
बुझाई
गई,
इसलिए
परेशान
होने
की
कोई
जरूरत
नहीं
है।