145 दिल्ली
में
इस
बार Odd Even
के
दौरान
प्रदूषण
बढ़
गया
By ITN Network DELHI APRIL 30, 2016
मुख्यमंत्री
Kejriwal
ने
कहा
था
कि Odd-Even
योजना
का
दूसरा
चरण
सफल
रहा
तो
इसे
हर
महीने
कर
दिया
जाएगा.
New Delhi, Apr 30 :
दिल्ली
में Odd-Even
योजना
का
दूसरा
चरण
भी
पूरा
हो
गया,
इस
योजना
का
असली
मकसद
दिल्ली
में
प्रदूषण
को
कम
करना
है,
और
मुख्यमंत्री
Arvind Kejriwal
ने
इसे
पहली
बार
लागू
करने
का
फैसला
ही
तब
किया
था
जब
अदालत
ने
प्रदूषण
को
लेकर
फटकार
लगाई
थी। Odd-Even
के
पहले
दौर
में
भले
ही
प्रदूषण
में
कमी
आने
के
दावे
किए
गए
हों
और
विवादों
के
बीच
उसे
मान
भी
लिया
जाए
तो
भी
दूसरे
चरण
को
लेकर
हम
वैसा
ही
बिल्कुल
नहीं
कह
सकते।
सांस
लेने
योग्य
हवा
की
गुणवत्ता
की
मॉनीटरिंग
करने
वाले
IndiaSpend
के
उपकरण
के
विश्लेषण
के
मुताबित 15
अप्रैल
से 29
अप्रैल
के
बीच
के 14
दिनों
में
दिल्ली
में
वायु
प्रदूषण 23
फीसदी
बढ़
गया
है।
ये
आंकड़े
हवा
में
प्रदूषण
के
मुख्य
कारक PM (particulate matter) 2.5 data
के
विश्लेषण
से
निकाले
गए
हैं।Odd-Even
योजना
के
आखिरी
दिन 30
अप्रैल
के
आंकड़े
को
मिला
कर
देखेंगे
तो
भी
इस
हालात
में
खास
परिवर्तन
के
आसार
नहीं
हैं
और
इससे
यही
नतीजा
निकलता
है
कि
दिल्ली
में
वायु
प्रदूषण
घटाने
के
लिए Odd-Even
से
काम
नहीं
चलने
वाला,सरकार
को
दूसरे
ठोस
उपाय
भी
करने
होंगे
जैसे
कि
बस
सेवाओं
को
बेहतर
बनाना,
फैक्ट्रियों
और
ट्रकों
से
निकलने
वाले
जहरीले
धुएं
पर
रोक
लगाने
के
लिए
ठोस
उपाय
करना,
इमारतें
बनाने
में
उड़ने
वाली
धूल
को
कम
करने
जैसे
उपाय
करने
होंगे।
दिल्ली
में 15
से 29
अप्रैल
के
बीच
हवा
में PM 2.5
की
औसत
मात्रा 68.98
माइक्रोग्राम
प्रति
क्यूबिक
मीटर
रही
जो
कि
अप्रैल
के
शुरूआती 14
दिनों
में 56.17
थी।
इसी
तरह
से PM 10
की
औसत
मात्रा
अप्रैल
के
पहले 15
दिनों
में 110.04 µg/m³
रही
जबकि odd-even
के
दौरान 14
दिनों
में
ये 22
फीसदी
बढ़
कर 134.39µg/m³
हो
गई।
odd-even
के
दौरान
सुबह 7
बजे
का
वक्त
दिल्ली
में
प्रदूषण
के
लिहाज
से
सबसे
खराब
रहा
क्योंकि
इस
दौरान
घंटों
के
हिसाब
से
नापा
गया PM 2.5
का
स्तर 124.3μg/m3
रहा
जो
कि
इस
योजना
के
शुरू
होने
से
ठीक
पहले
इसी
वक्त
में 31
फीसदी
तक
कम
था
यानी
कि 94.67μg/m3
के
स्तर
पर
था। odd-even
के
दौरान
शाम 5
बजे
का
घंटा
का
सबसे
बेहतर
था,
इस
दौरान PM 2.5
का
लेवल 21μg/m3
तक
था
जो
कि
अच्छी
हवा
का
परिचायक
है।
हवा
में
प्रदूषण
के
इन
घटकों
की
मात्रा PM2.5
के
लिए 60
और PM 10
के
लिए 100
तक
रहने
पर
उसे
सुरक्षित
स्तर
माना
जाता
है।
PM 10
और PM 2.5
ऐसे
तत्व
हैं
जिनसे
श्वास
तंत्र
पर
बहुत
बुरा
असर
पड़ता
है।
इन
तत्वों
की
मात्रा
ज्यादा
होने
पर
सांस
फूलने,
अस्थमा,
फेफड़ों
में
संक्रमण
और
फेफड़ों
के
कैंसर
जैसी
बीमारियों
का
खतरा
बढ़
जाता
है।
इनके
लिए
सड़कों
पर
गाड़ियों
से
होने
वाला
प्रदूषण
सबसे
ज्यादा
जिम्मेदार
है। IIM
अहमदाबाद
की
एक
शोध
रिपोर्ट
के
मुताबिक
बाहर
की
प्रदूषित
हवा
से
भारत
में
सबसे
ज्यादा
मौतें
होती
हैं
करीब
6
लाख 70
हजार
मौतें
हर
साल। 2014-15
में
हुए
एक
सर्वे
के
मुताबिक
दिल्ली
में
प्रदूषण
के
कारकों
में
से
प्रमुख
कारों
की
संख्या
प्रति 1000
लोगों
पर 16
सालों
में 92
फीसदी
तक
बढ़
गई
है। 31
मार्च 2015
तक
ही
दिल्ली
में 88
लाख
वाहन
रजिस्टर्ड
थे
और
ये
संख्या
उससे
काफी
बढ़
गई
है।
इसके
अलावा
दिल्ली
में
बड़ी
संख्या
में
गाड़ियां
आसपास
के
पड़ोसी
राज्यों
के
रजिस्ट्रेशन
नंबर
वाली
भी
चलती
हैं।
जाहिर
है
Arvind Kejriwal
सरकार
को
इस
बारे
में
ज्यादा
संजीदगी
से
सोचना
होगा