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K015. Kejriwal ने पीड़ित परिवार को मुआवजे का वादा किया था.

दिल्ली के तुर्कमान गेट रोड रेज कांड में Arvind Kejriwal ने पीड़ित परिवार को मदद और मुआवजे का वादा किया था. लेकिन वो वादा सियासत की भेंट चढ़ता दिखाई दे रहा है.  

New Delhi, Apr 28: दिल्ली का तुर्कमान गेट इलाका, इसी इलाके में एक साल पहले सड़क हादसे में शहनवाज नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी। रोड रेज का ये मामला सुर्खियां बना था। आखिर देश की राजधानी में मामूली कहासुनी में एक शख्स की हत्या हो जाना मामूली बात नहीं है। सियासत भी जमकर हुई, Arvind Kejriwal सरकार ने फौरन मदद का हाथ आगे बढ़ाया। शहनवाज के परिवार से वादे किए कि वो हर तरह से उनकी मदद करेंगे। लेकिन क्या वो वादे एक साल बाद पूरे हो पाए हैं।

दिल्ली सरकार ने शहनवाज के परिवार को बुलाया उनकी मदद का भरोसा दिया। आम आदमी पार्टी के मटिय़ा महल से विधायक असीम अहमद खान ने Arvind Kejriwal के सामने इस परिवार की जिम्मेदारी लेने का एलान किया। शहनवाज के पिता के मुताबिक अरविंद केजरीवाल सरकार ने कहा था कि शहनवाज के बच्चों की जिम्मेदारी लेंगे। उनकी नौकरी का इंतजाम करेंगे, साथ ही 10 लाख रूपए मुआवजे का भी एलान किया था। अब शहनवाज के परिवार का कहना है कि दिल्ली सरकार अपने वादे भूल गई है।

शहनवाज की मौत को एक साल हो गया है। Arvind Kejriwal के वादों की छांव में तीन महीने किसी तरह गुजरे, लेकिन उसके बाद शुरू हुआ मुश्किलों का सिलसिला। शहनवाज के भाई सोहेल जो इस मामले को कानूनी तौर पर देख रहे हैं। उनका कहना है कि वो अरविंद केजरीवाल के वादों पर सचिवालय गए तो वहां सीएम दफ्तर से एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया कि इस तरह का कोई वादा किया ही नहीं गया था। खुद Arvind Kejriwal का दफ्तर उनके वादों के झूठा होने की गवाही दे रहा है।

4 अप्रैल को शहनवाज की हत्या के बाद 9 अप्रैल 2015 को Arvind Kejriwal ने शहनवाज के परिवार को सचिवालय बुलाकर मुलाकात की थी। उस मुलाकात के दौरान केजरीवाल ने शहनवाज के परिजनों से कहा था कि वो असीम अहमद खान को अपने बेटे की तरह समझे, वो आपके सारे काम करेंगे। लेकिन एक साल पूरा होते होते सहानुभूति और भरोसे के वो शब्द चुभन पैदा कर रहे हैं। शहनवाज की पत्नी फरजाना कहती हैं, कि दिल्ली सरकार ने उनके बच्चों के नाम पुराने स्कूल से कटवा के महंगे स्कूलों में दाखिला करा दिया। 3 महीने तक तो फीस भरी लेकिन बाद में पल्ला झाड़ लिया।

फरजाना कहती हैं कि बाद में दिल्ली सरकार ने हमारे फोन उठाने बंद कर दिए। जिस महंगे स्कूल में मेरे बच्चों का दाखिला किया था वो हमारे बजट के बाहर है। इसलिए सेशन के बीच में बच्चों को स्कूल से निकालना पड़ा. दोनों बच्चे को अब तक किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिला है। Arvind Kejriwal के विधायक असीम अहमद फरजाना के इन आरोपों को नकारते हैं। उनका कहना है कि उन्होने खुद 3 महीने तक बच्चों की फीस भरी लेकिन शहनवाज के परिजनों ने इस पर राजनीति की। केजरीवाल के घर के बाहर धरना भी दिया जो गलत है।

शहनवाज की मौत के एक साल होने के बाद अब उनके परिजनों को इंसाफ की आस धुंधली हो रही है। पिता सलाउद्दीन कहते हैं कि हम पर दबाव बनाया जा रहा है। करोड़ों रूपए का ऑफर दिया जा रहा है कि केस बंद करो। इनका कहना है कि दिल्ली सरकार ने मुआवजे का पैसा भी नहीं दिया। असीम अहमद ने बच्चों की स्कूल फीस के पैसे देने के बदले में जमकर अहसान जताया। सलाउद्दीन का कहना है कि हमें सरकार से मुआवजा चाहिए. हम टैक्स देते हैं. हमें किसी से चंदा या भीख नहीं चाहिए.

आम आदमी के नाम पर राजनीति का दावा करने वाली पार्टी से शहनवाज के परिवार का भरोसा टूटता दिख रहा है। सलाउद्दीन कहते हैं कि ये कैसी आम आदमी पार्टी है, हमें बुलाया लेकिन अब तक कोई मदद नहीं की। इंसाफ की आस में शहनवाज की मां की आंखे धुंधला गई हैं। शहनवाज के दोनो बेटे जो इस केस में चश्मदीद गवाह हैं। उन्हे कानूनी दांवपेंच समझ नहीं आता, 29 अप्रैल को इस केस की सुनवाई है. उस दौरान छोटे बेटे का क्राॉस एग्जामिनेशन होगा।

शहनवाज के परिवार की इस व्यथा को देख कर सीधे Arvind Kejriwal और उनके वादों पर सवाल खड़ा होता है। क्या महज सियासी फायदे के लिए उन्होने इतने वादे कर दिए थे। वादों को अंजाम तक पहुंचाना भी होता है। ये चुनावी वादे नहीं थे, ये एक परिवार से किया गया वादा था। भरोसा जब टूटता है तो उसकी किरचें काफी अंदर तक तकलीफ पहुंचाती हैं। शहनवाज के परिवार के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। Arvind Kejriwal के वादों को एक-एक करके टूटते देख कर अब इस परिवार को इंसाफ की आस नहीं रही। पिता और भाई अपने काम में डूबकर अपने गम और तकलीफ को भूलने की कोशिश कर रहे हैं।