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Delhi को पानी देने वाले बांधों में पानी घटा है, लेकिन परेशानी वाली कोई बात नहीं है.

New Delhi, Apr 26 : भीषण गर्मी और सूखे की मार से देश के ज्यादातर डैम में Water Level गिरता जा रहा है और पानी का संकट गहराता जा रहा है, हालांकि इससे राजधानी Delhi में पानी की सप्लाई पर कोई खास असर पड़ने की आशंका नहीं जताई जा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दिल्ली को पानी की सप्लाई के लिए कई इंतजाम किए गए हैं और यहां पानी अलग-अलग जगहों से आता है, इसीलिए यहां पानी की किल्लत की नौबत अभी नहीं आई है।

 Delhi को नवंबर से फरवरी तक 68 मिलियन क्यूबिक मीटर और जुलाई से अक्टूबर तक 580 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलता है। यानी बरसात में सबसे ज्यादा पानी मिलता है, लेकिन इसमें से 300 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी यमुना में बह कर चला भी जाता है। दिल्ली को पानी की सप्लाई के लिए यहां कई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बने हुए हैं। इनमें गंगा नदी से 500 क्यूसेक पानी सोनिया विहार और भगीरथी प्लांट मिलता है।

यमुना नदी से 440 क्यूसेक Raw Water चंद्रावल, वजीराबाद और ओखला प्लांट को दिया जाता है। इसके अलावा भाखड़ा नांगल बांध से आया 623 क्यूसेक पानी हैदरपुर, नांगलोई, द्वारका और बवाना प्लांट को भेजा जाता है। इसके अलावा ट्यूबवेल और बारिश के जरिए भी करीब 160 क्यूसेक पानी दिल्ली को मिल जाता है। दिल्ली को पानी सप्लाई करने वाली नदियों और बांधों में फिलहाल पानी के स्तर में भारी कमी आई है, हथिनी कुंड बांध में पानी का स्तर लगभग आधा रह गया है, टिहरी बांध में भी पानी में कमी आई है, लेकिन फिर भी दिल्ली वालों के लिए चिंता की बात नहीं तो इसके लिए जिम्मेदार है देश को प्रकृति का वरदान।

दरअसल टिहरी बांध हिमालयी नदियों से जुड़ा हुआ बांध है, यहां पर पानी बर्फ पिघलने से भी आता है, जो कि अभी नहीं आ रहा है। गर्मी बढ़ेगी को पानी की मांग भी बढ़ेगी लेकिन आने वाले दिनों में बर्फ भी पिघलना शुरू हो जाएगी जिससे बांध में पानी बढ़ने लगेगा। पठारी नदियों के मामले में ऐसा नहीं हो पाता है, वो पानी के लिए बारिश पर ही निर्भर होती हैं, इसलिए उनका हाल गर्मियों में बुरा हो जाता है। फिलहाल दिल्ली को पानी की परेशानी नहीं होने वाली है। एक और खास बात ये भी है कि दिल्ली ने बार-बार होने वाले आंदोलनों से पानी के संकट की स्थिति में खुद को ढाल लिया है। पिछले दिनों जाट आंदोलन के दौरान 9 प्लांट में से सिर्फ 2 में ही पानी का उत्पादन हुआ और सिर्फ 250 एमजीडी पानी से ही Delhi वालों की प्यास बुझाई गई, इसलिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।
















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