.... तीन नवें पाबर पलांट: थोरियम, हैवीवाटर, प्रदूसन रहत यूरेनियम, लगाए जान गे।। पूरी बिजली, खेती 1 रुपए, घरेलू 2 रुपए, सनअत 3 रुपए, 24 घंट मिले गी। मुक्ख मंतरी ते मंतरआँ दी तनखाह इक रुपए महीना, भ्रिसटाचार दी कमायी नाल बणाईआं जायदादां जब्त, धर्म तो राजनीति वक्खरी, दुकानदार कर मुक्त, वायी फायी फ्री, 16 साल दी उम्र विच बालग, पूरे वेरवे लइी देखो 100+ परण पतर।

                                                                                                      

                                                                                         असली आंदोलन कौन सा है?

 12 पंजाब और पंजाब की किसानी के लिए, असली आंदोलन कौन सा है?
..... पंजाब के नौजुआनो और किसानो!
..... पंजाब के लिए और पंजाब की किसानी के लिए ही आंदोलन करो!
...... पंजाब के विनाश के लिए अदोलन में हिस्सेदार न बनो।
..... दसतौड़े बाज के लिए ज़िंदगी कुर्बान न करो, जो आपको गुमराह कर रहे हैं,
..... की आपकी ज़मीन नहीं रहे गी। तुहांनूं मज़दूर बनकर ही अपने खेत में काम करना पड़े गा।
..... कोयी नहीं छीन सकता आपकी ज़मीन। कोई नहीं छीन सकता आपकी मालकी।
.. . . इह है केवल दसतौड़ा, डींग, आपको गुमराह कर कर चेयरमैनी, राज सभा, या ओर लाभ लेने के लिए।
. . .. बादलशाही ने एक तरफ़ जनसंघ के साथ सांझ डाल कर 18 साल पंजाब लूटा।
.. . . दूजे तरफ़ बीजेपी आर यह यह, हिन्दुत्व विरुद्ध नफ़रत फलाउण के लिए अनेकों भद्दे स्टंट इस्तेमाल करे।
. ... किसानो और जुआनो! नानक साहब जी के पुत्र बनकर, नफ़रत जुनून को पीछे करके, शांत चित ढिंढोरे फिर सोचो।
आओ जाणीए! क्या है पंजाब के लिए और पंजाब की किसानी के लिए असली आंदोलन?
.... भारत दुनिया का सब से बड़ा चावल इकसपोरटर है। जिस में से बड़ा मिटा ईरान, इराक, साउदी अरेबिया, यूएयी आदि अरब कंट्री को जा रहा है। परन्तु गेहूँ इन देशों को नहीं भेजी जा रही। भारत गेहूँ मिश्र, इंडोनेशआ, अलजेरिया, ब्राजील, बंगला देश को भेज रहा है। अगर चावल अरब मुल्कों को भेजा जा रहा है जो कि बहुत नज़दीक हैं तो गेहूँ इन देशों को क्यों नहीं भेजी जा सकती। जब कि वह पंजाब की गेहूँ की कीमत से दुगनी कीमत पर गेहूँ माँग रहे हैं। इकसपोरट का खर्चा भी एक चौथाई ही हो गा। भारत ओर स्टेटों में उतपादत 14 बसतें पाकसतान को भेज रहा है। परन्तु गेहूँ भेजने की मंज़ूरी नहीं है। क्युंके गेहूँ मुख तौर पर पंजाब में ही पैदा होती है। पंजाब के साथ यह वितकार इंद्रा, राजीव और मनमोहन सरकारें समय जारी रहा।
......... भारत ने अपने कई पड़ोसी देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किये हुए हैं। फ्री ट्रेड का अर्थ है कि इन देशों को भारत से कोई भी वस्तु खरीदने या बेचने के लिए किसी मंज़ूरी लाइसैंस आदि लेने की ज़रूरत नहीं। किसी भी ईम्पोर्ट् या इकसपोरट और कोई टैकस लेवी बगैरा नहीं लगे गी। कोई भी ऐसा देश जब चाहे अपनी खरदो फ़रोख़्त कर सकता है।
......... पाकसतान भी भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर उठवा है। जो अजय तक रद्द नहीं किया गया है। भारत इसी फ्री ट्रेड अधीन पाकिस्तान से प्याज़ ईम्पोर्ट् कर रहा है। बाकी फ्री ट्रेड वाले देश अफगानसतान, बंगलादेस, भूटान, साईलोन, कमाऐ, कोरे, मालदीप, बर्मा, नेपाल, सिघापुर, लंका, थाईलैड, अरजनटाईना, ब्राजील, पारागुए, यूरूगुए, वैनजवेला और साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया के देश हैं। यह विवरण इस लिए दिया गया है कि इंद्रा, राजीव, मनमोहन सरकारें इतनी दूर दूरगामे देशों के साथ फ्री ट्रेड की प्रेक्षक थे। परन्तु एक किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान को गेहूँ भेजने की इजाज़त नहीं दी गई।
..... . कनक की फ़सल आने वाली है। पाकिस्तान भारत से 35 समझ कुऐंटल गेहूँ माँग रहा है। ईरान, इराक, साउदी अरेबिया, यूएयी, कवैत, बहरीन, कतर, यमन, उमान, तुर्की, तुरकमेनसतान, अफगानसतान, पाकिस्तान, जैसे देश पंजाब की गेहूँ के लिए तरस रहे हैं। यह ख़ुष्क देश हैं। यहाँ गेहूँ पैदा नहीं होती। दुनिया का सब से बड़ा और सब से बढ़िया खाना पदार्थ गेहूँ ही है। इस लिए ही वह दुगनी तीनगुनी कीमत देने के लिए तैयार हैं। कई देशों ने गेहूँ बदले तेल देने की औफर भी भेजी है। बदले में खादें, इनअोरगैनिक, सब्जियाँ, फ़्रूट, डराई फ़्रूट, कारपिट, ऐकरीलिक, हाईड्रो कार्बन, वैबरेज, इलैकटरोनिकज, कोकोनट, कौटन, ऊन आदि ले सकते हैं
..... . जदों ईरान इराक साऊदिया कवैत उपिक के द्वारा तेल इकसपोरट करे गा तो उसे उपिक के 13 देशों की तरफ से निधारत कीमत पर ही अपना तेल बेचना पड़े गा। परन्तु यूनाइटिड नेशन के आईल फार फूड क्लॉज अधीन अगर वही देश गेहूँ के अदला बदलो में तेल देना चाहता है तो उस पर उपिक के कानून लागू नहीं होते। इस तरह तेल उसकी घरेलू उपभोग गिना जाता है। वह कई गुणा ज़्यादा तेल दे सकता है।
..... भारत का संवैधानिक ढांचा फेडरल टाईप का है। हर स्टेट को अपनी खेती सम्बन्धित बेच, खरीद, इकसपोरट, ईम्पोर्ट् आदि का अधिकार है। क्युंके यह मदों भारतीय संविधान की स्टेट लिस्ट में हैं। कैप्टन सरकार यह अधिकार के लिए माँग कर सकती है। यह पंजाब सरकार का सविधानक हक है। बादल और कैप्टन सरकारों ने कभी पंजाब के लिए केंद्र से कोई भी संवैधानिक हक नहीं माँगा। इन इंद्रा, राजीव की जी हजूरी, और मनमोहन सिंह के साथ हिस्सेदारी करके, सिर्फ़ पंजाब लूटने की मंज़ूरी माँगी है।
..... जे गुजरात में एक कंपनी अपना प्राईवेट फ्री ट्रेड जन्म बना सकती है तो अटारी बार्डर या सहीद भक्त ममोरियल फ़िरोज़पुर के नज़दीक बार्डर और गेहूँ का फ्री ट्रेड जन्म क्यों नहीं बनाया जा सकता। जहाँ भारत का हर किसान अपनी गेहूँ सीधा बेच सगे। क्यों कर यह भारत का मुख धरातल बार्डर है। अगर गुजरात में प्राईवेट फ्री ट्रेड जन्म की मंज़ूरी स्टेट गौरमिट ने दी है। तो पंजाब सरकार प्राईवेट या सरकारी फ्री ट्रेड जन्म क्यों नहीं बना सकती? अगर बंगाल स्टेट अपने अलग किये भाई, बंगला देश को फ्री ट्रेड अधारित, गेहूँ और 2 रुपए यूनिट बिजली के सकती है, और बंगला देश से बहुत बसतें ले सकती है, तो पूर्वी पंजाब, पश्चिमी पंजाब के साथ व्युपार क्यों नहीं कर सकता। अपनी गेहूँ अरब देशों को शड़क के द्वारा, बहुत कम ट्रांसपोर्ट खर्च किए और क्यों नहीं भेज सकता?
..... पंजाब के किसानो, नौजुआनो और किसान आगूउ। इस अदोलन में 94 प्रतिशत देने पंजाब की सीख किसानी की है। 4 प्रतिशत पश्चिमी हरियाणा के किसानों की है। एक एक प्रतिशत तराई और राजसतान के किसानों की है। इन में भी आधे सीख किसान हैं। परन्तु हमारे किसान नेता राजेवाल साहब को राष्ट्रवाद का जुनून चढ़ गया है। वह पंजाब और सीख रवायतों को तिलांजलि के रहे हैं। वह रवायतों जो सिक्खों की बहादुरी और भारत की आज़ादी के साथ सबंधित हैं। वह आपकी बलि को छोटा दिखाकर, सारा सेहरा अपने आप बना भारतीय किसानी को के रहे हैं। वह अपने कथित किसान साथियों को छडके जोगिन्द्र यादव जैसे अकेले टोटरू को हर मीटिंग, हर प्रोगराम का अगुआ बना रहे हैं। वह राकेश टिकायत को पालसी मेकर बना रहे हैं। कहाँ हैं 400 किसान जत्थेबंदियों के नेता और उन की किसान जत्थेबंदियाँ। यह पंजाब की किसानी, जवानी और बलि को पीछे धक्कण का भद्दा यत्न है।
....... पंजाब की किसानी और जवानी को पीछे फेंकने के लिए राजनैतिक जुगतबंदी की गई है। घोड़ी बार्डर की गुण स्टेजों, कुंडली और बुराड़ी स्टेजों और पंजाबी किसानी भारू है। कभी कोई शोर शराबा नहीं सुना। परन्तु सिंघू स्टेज का कब्ज़ा बांये समर्थकी और कांग्रेसी विचारधारा वाले नेताओं के पास है। नित्य नये हुक्म दिए जाते हैं। कभी केसरी निशान उतारने के हुक्म, कभी झंडे उखेड़ने के हुक्म, कभी जवानी को झाड़ों, कभी चड़ूनी की क्लास लगती है, कभी निहंगों को कहा जाता है कि अब हमें आपकी ज़रूरत नहीं, चले जाओ। आप सारा दिन, केंद्र सरकार को जीतने का नहीं, फिर फिर 19 बार दिली जीतने ते लाल खुंटे और केसरी झंडे खुलाउण सम्बन्धित तकरीरें करते हैं। कभी बयान होते हैं कि जो जुआन लाल खुंटे और झंडा झुलाने का नारा लगाते हैं, वह किसान मोर्चो के दुश्मन हैं। विचारधारा के इस भिन्नताऐं पीछे कोई कारण तो ज़रूर हुए गा।
..... कथित किसान नेता राकेश टिकायत के पिता जी स महेन्दर सिंह टिकायत एक दूरअन्देस किसान नेता थे। उन्होंने पूर्व प्राइम मनिस्टर चौधरी चरन सिंह का नेतृत्व में, स भुपिन्दर सिंह मान, स अजमेर सिंह लखोवाल, स बलबीर सिंह राजेवाल साहब के साथ 7 दिन गवर्नर पंजाब का घेराव किया। दो दिन बाघा बार्डर और धरना लगाया। दोनों बार दो दो लाख किसान इकठ्ठा हुए थे। माँग यह थी कि किसान को अपना अनाज पाकिस्तान और अरब देशों को बेचने का अधिकार बहाल किया जाये। परन्तु राकेस टिकायत कांग्रेस की टिकट ख़ातिर अनाज के फ्री ट्रेड का विरोध कर रहे हैं। राजेवाल साहब भी उसी बेड़ी और सवार हैं।
..... राजेवाल साहब का राष्ट्रवाद पंजाब को तबाह कर दे गा। हर घर की रसोई में आटे की अपेक्षा दूसरों बसतें दालें, मसाले, तेल आदि का खर्चा तकरीबन तीन गुणा है। किसान की गेहूँ तकरीबन अपनी ही होती है। मूल्य नहीं के लिए जाती। मिनिमम स्पोर्ट प्राइस की लिस्ट में तकरीबन 23 सा बसतें हैं। परन्तु स्पोर्ट प्राइस सिर्फ़ गेहूँ और धान पर ही लागू की गई है और सिर्फ़ पुराने पंजाब में ही है। गेहूँ मुख तौर पर पंजाब में ही होती है, जो कि भारत में पैदा होने वाली गेहूँ से 5 6 सौ रुपए महँगी खरीद की जाती है। बाकी उत्पादों और स्पोर्ट प्राइस न होने के कारण, यह सब पंजाब को कम कीमत पर मिल रही हैं।
.... . राजेवाल साहब किसी ख़ास प्राप्ति के लिए पंजाब के हितों की अपेक्षा, समूचे भारत को पहल के रहे हैं। बाकी रहते 21 उत्पादों को स्पोर्ट प्राइस की माँग कर रहे हैं। अगर इस की पूर्ति हो जाती है तो इन बसतें की कीमत सिलाई डेढी नहीं तीनगुनी हो जाऐ गी। भारत सरकार स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट मान चूक है।
...... स्वामीनाथन कमीशन अनुसार फ़सल की मौजूदा कीमत से डेढा गुणा भाव दिया जाना है। इस पर किसान के परिवार के हर मैंबर पीछे 500 रुपया प्रति दिन के हिसाब मेहनत खर्चा गिनना है। ( या जो सरकारी तौर पर दिहाड़ी मानी जाऐ) इस के इलावा अपनी ज़मीन और ठेकेदार की ज़मीन से आमदन बराबर करन के लिए, ज़मीन मालिक को ज़मीन का ठेका और उसका ब्याज भी गिनना है। भाव अगर किसान ज़मीन छापने और ले कर काश्त करता तो उसका खेती और प्रवारक खर्चा ही गिणनयोग है। परन्तु अगर किसान की अपनी ज़मीन है तो ज़मीन का ठेका 50, 000/ - रुपए ( जो हो) अलग गिनने से जाना चाहिए। इस रकम का ब्याज के साथ जुड़े गा।
...... इस तरह अगर भारत सरकार राजेवाल साहब को खुश करन के लिए बाकी 21 उत्पादों और स्पोर्ट प्राइस लागू करती है तो कीमत तीनगुनी हो जाऐ गी। खर्चा अरबें खरबें में अधिक जाऐ गा। कोई इकसपोरट मुनाफेदार नहीं रहे गी। भारत की इकौनमी एक दम ओर तले गिर पड़े गी। बढ़ी कमितें, छोटे किसान, भूमि रहित वर्ग, मज़दूर, रेहड़ी फेरी वाले, छोटे दुकानदार के लिए घातक साबित होने गया। कहाँ से खाऐ गा गरीब?
..... किसान उत्पादों के मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेजाने के लिए भी राजेवाल साहब ही ज़िमेदार हैं। पंजाब के 33 सा किसान नेताओं ने यह फ़ैसला किया था कि धरने पंजाब की हद और या जहाँ पुलिस रोके वहां ही लगा लिए जाएँ। इसी अनुसार उगाहूँ साहब ने डबवाली और खनौरी बारडरें और धरने लगा लिए। परन्तु राजेवाल साहब ने उगाहूँ साहब को निचला दिखाने के लिए, दिली की तरफ चाले पहनने और वार्डर तोड़ने का हुक्म, नौजवानों को के दिया। जिस कारण दिली की घेराबन्दी, केस को सुप्रीम कोर्ट में लेजाने का कारण बनी। दिली जाने साथ राजेवाल साहब को करोड़ों में फंड तो ज़रूर मिले, परन्तु पंजाब के लिए यह मोर्चा केवल घातक साबित हुआ। अगर तीनै बिलों के रिपील, रद्द करन की माँग मान भी के लिए जाती तो भी पंजाब को एक पैसो का भी फ़ायदा होने वाला नहीं है। परन्तु सुप्रीम कोर्ट का फैशला आज नहीं तो कल बरसाती साबित हुए गा।
....... मानयोग सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला भारतीय संविधान, भारतीय कानून और नैचरल जस्टिस के आधार पर करना होता है। भारत सरकार को तो यह अधिकार है कि वह जिस स्टेट को चाहे जिनियें मर्ज़ी रियायतों दे। जिस स्टेट को चाहे भेदभाव अधीन कंगाल कर दे। परन्तु सुप्रीम कोर्ट ऐसा फ़ैसला करन का, कोई भेदभाव करन का, अधिकार नहीं रखती। परन्तु यह सच्चाई है कि ख़ास कारणों करके उच्च अदालत भेदभाव महसूस करती हुई भी, कोई दख़ल न देना ही ठीक समझती है। अब उच्च अदालत के पास तीनें बिलों के योग्य अयोग्य होने के निर्णय से बिना, मंडी बोर्ड की कायमी और उत्पादों और स्पोर्ट प्राइस का केस भी चला गया है।
...... उच कोर्ट के लिए, सब के साथ बराबरी की संवैधानिक क्लॉज, उसको मजबूर करती है कि जो अधिकार एक को है वह सब को हो। इस लिए उच्च कोर्ट, दो में से एक फ़ैसला करन के लिए मजबूर है। या स्पोर्ट प्राइस सभी 23 उत्पादों और लागू हुए गी। या गेहूँ धान की स्पोर्ट प्राइस भी ख़त्म कर दी जाऐ गी। बड़ी संभावनें यही है कि स्पोर्ट प्राइस सब बसतें से ख़त्म कर दी जाये। क्युंके यूनाइटिड नेशन, वर्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन, वर्ड किसान कनसौरटियम, चाहुदे हैं कि किसानी की ख़ुशहाली, बहुत उत्पाद, सब के लिए पहुँच, के लिए सब सबसिडियाँ ख़त्म कर दी जाएँ। ख़ैर दोनों में से कोई भी फ़ैसला हुए, पंजाब के लिए घातक ही साबित हो गा।
..... इस बात की समझ नहीं आ रही कि राजेवाल साहब की तरफ से उक्त लिखित तीन बडाई करना पंजाब हितकारी औफरें ठुकराऐ जाएँ पीछे क्या राज है। लगता है कि राजेवाल साहब कैप्टन और बादल साहब की इच्छा अनुसार कोई बड़ा काम करवाना चाहुदे हैं। जिससे दिली के कत्ले आम को छोटा किया जा सके, जो राजीव साहब ने आप करवाया था। जिससे अकाल तख़्त साहब के मलियामेट और कत्ले आम को छोटा ‌दरसायआ जा सके जो बादल साहब ने आप करवाया था। यह भी हो सकता है राजेवाल साहब को बीजेपी सरकार से किसी बड़ी प्राप्ति की आशा हो। क्युंके अगर दिली पंजाब में कोई बड़ा काम हो जाता है तो बीजेपी को वही लाभ प्राप्त हुए गा जो 1984 के बाद वाली चयन में राजीव को प्राप्त हुआ थी। राजीव साहब को भारत भर में इतनी वोट मिली थी, जितनी आज़ादी से तुरंत बाद नहरू गांधी को भी नहीं थी मिली। दिली विधान सभा में भी बीजेपी की जीत यकीनी, और पार्लीमानी मतदान विच भी बीजेपी की जीत यकीनी, होने की आशा बन सकती है। राजेवाल साहब का बार बार यह कहना कि " अगर मैं मुँह खोहलता, तो पता नहीं क्या हुए गा" किसी बड़ी घटना का ही संकेत है।
....... पंजाबीउ। मैं पिछले दो हफ्ते से अपने मिलने वाले और अपने टैलिफ़ोन करन वाले दोस्तों के पास जो किसान नेताओं की जुगतबंदी ज़ाहिर कर रहा हूँ वह आपके भी सामने रख रहा हूँ। सब कह रहे थे कि किसानों ने जेसीबी मशीनों तैयार कर ली हैं। ट्रैक्टरों आगे मोटे राड लगवा लिए हैं। किसान दिली में ज़रूर घुसने गे। परन्तु मैं क‌हन्दा रहा हूँ कि अकेले ट्रैक्टरों को बाहरली पेरीफेरी और भेज दिया जाऐ गा। दिली पुलिस कुछ इंडिया गेट पर हुए गी, कुछ ट्रैक्टरों को अंदर घुशण से रोकनो के लिए जगह पर जगह भाग जाऐ गी। नेता लुप्त हो जाएँ गे।
......... दिली में घुसने के लिए बार्डर के साथ वाले रास्ते से बिना, अनेकों ओर रास्ते भी हैं। पंजाब की जवानी इन रास्तों राही दिली अंदर घुस जाऐ गी। यह नौजुआन इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन नहीं पहुच सकें गे। किुंउके यह 25- 30 किलो मीटर दूर है। इन का टकरा किसी ऐसे तत्व के साथ हो करवा दिया जाऐ गा, जैसा जैसा 1984 में इस्तेमाल करा गया था। जिस कारण भारी नुक्सान भी हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव पंजाब और भी हो सकता है। मेरी तो यह सोच ही था। अब कल राजेवाल साहब ने इसकी पुष्टि कर दी है। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर दिली में नहीं घुसने गे। परन्तु आऊटर पेरीफेरी और प्रदरसण करन गे। परन्तु उन्होंने नाम ही किसान नेताओं न्योछावर बताया कि वह किस तरह प्रदर्शन करन गे। नाम ही यह बताया कि जज़्बाती नौजवानों को किस तरह रोका जाऐ गा।
..... पंजाब के किसानो! नौजुअनो! किसान आगूउ। अब आप अपनी अथाह शक्ति भारत सरकार को दिखा दी है। सरकार शायद कुछ डरी हुई है। आपकी हर जायज और विधानक माँग मान सकती है। आओ पंजाब बचाइए, पंजाब की किसानी और जवानी बचाइए। पंजाब के लिए सदा सलामत रास्ता अपणाईए। गेहूँ का अरब देशों के साथ फ्री ट्रेड, पंजाब की ख़ुशहाली का एक मात्र रास्ता है। पंजाब दो तीन सालों में ही कैलेफोरनिया के बराबर हो जाऐ गा। क्यूके 13- 14 उक्त लिखित देशों को इकनौमीकल रेट और गेहूँ देने पर उनके सपने पूरे करन वाला, सिर्फ़ पंजाब ही हो गा। हमारे बचे अरब देशों में मज़दूर नहीं, व्युपारी बन कर जाएँ गे।
....... दोस्तो! माँग लो राजेवाल साहब से माफी। उन का नेतृत्व में आप सैंकड़े सहादतें के चूके हों। आओ अपने परिवारों में। सँभालो अपने बचे और अपने खेत। भूल जाओ कि आप कांग्रेसी हों, अकाली हों, साम्यवादी हो, मार्कसी हों। दोस्तो खुद आप ही कहते हों कि हम किसान पहले हैं। बस सचमुच किसान बन जाओ। कर दो पंजाब ख़ुशहाल। माला माल। ईश्वर रक्षक पंजाब का। सिर्फ़, एक ही विनती है कि 19 जनवरी की मीटिंग में बस यही एक ही माँग रख दानव, कि भारत सरकार गेहूँ की फ्री ट्रेड, अरब देशों के साथ बहाल दे। जीत यकीनी है। अगर मुझे यह सेवा देते हों तो सभी एक संकल्प पाके अधिकार मुझे के दानव। मैं निश्चित रूप से आपको यह अधिकार ले कर वालों गा।
...... राजेवाल साहब को राष्ट्रवाद बधाई हो। परन्तु मैं तो पंजाब का पुत्र हूँ और पंजाब के हित ही आगे रखूँ गा। राजेवाल साहब क्युंके मोर्चो का नेतृत्व करते हैं। नेता का फ़ैसला सहयोगियों की तरफ से माना जाना, डिसिपलिन माना जाता है। जीत हार की ज़िमेदारी राजेवाल साहब पर है। दूसरे किसान नेताओं पर नहीं। इस लिए मुझे राजेवाल साहब का नाम लेना पड़ता है। मेरा राजेवाल साहब के साथ कोई निजी विरोध नहीं, परन्तु सैद्धांतिक विरोध ज़रूर कहा जा सकता है। ईश्वर रक्षक पंजाब का।